BY SHREYA SHUKLA
ज़िन्दगी दो तरीके से जी जाती है
परिवार या हम!
सही कौन है?
वह जो खुद के लिए जीता है या वह जो परिवार के लिए मरता है?
वो जो सबसे ऊपर खुदको रखता है या वह जो खुद से ऊपर परिवार को रखता है?
वह जो खुद की नज़रों में इज़्ज़त बढ़ाता है
या फिर वह जिसके लिए लोगो के सामने इज़्ज़त होना ही सबकुछ है?
वास्तव में सही है कौन
वह जो अपने तरीके से जीता है या वह जो जीने से पहले परिवार से तरीका पूछता है?
वो जो निर्णय लेने से पहले आईना देखता है या वह जो आईने में भी परिवार को देखता है?
वह जो सिर्फ दिल के कहने पे अकेला ही चल देता है या फिर वह जो परिवार को साथ लेकर चलता है करने खुद की खोज?
आखिर सही है कौन?
वह जो खुद के लिए परिवार त्यागता है या फिर वह जो परिवार के लिए खुदको भी त्यागता है?
वो जो अकेले आए हैं अकेले जाएंगे का गुणगान करता है या फिर वह जो साथ जिएंगे साथ मरेंगे के नारे लगाता है?
वास्तव में सही क्या है…….
अगर खुद के लिए जीना ग़लत है तो परिवार के लिए मरना सही क्यों
और अगर परिवार से प्यार करना सही है तो खुद से प्यार करना ग़लत क्यों?
अगर एक ज़्यादा सही है तो दूजा कम क्यों
या फ़िर अगर एक सही है तो दूजा ग़लत क्यों?
वास्तव में सही है कौन?
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