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कभी खुदसे प्यार करके देखना

दूसरों की तलाश मेयह कहाँ आ गए हमदूसरों में ज़िन्दगी ढूढ़ते ढूढ़तेक्यों खुद ग़ुमशुदा से हो गए हमवो ख्वाहिश कुछ कर दिखाने कीवह ख्वाहिश कुछ लम्हें बिताने कीवो ख्वाहिश दूसरों कि खुशी कीवह ख्वाहिश उन मासूम पलों कीउस जवानी को ढूढ़ते ढूढ़तेक्यों मासूमियत से बिछड़ गए हमउन चार लोगो की ख़ुशी की खातिरक्यों कभी खुद …

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बड़े शहरों का शोर

बड़े शहर का शोर अक्सर हमें खुद से मिला देता हैशोर तो बहुत है लेकिन फिर भी हमें चुप्पी का एहसास दिला देता हैरहते तो हैं हम बहुत भीड़ से घिरे हुएलेकिन उस भीड़ में भी हमें अकेलेपन का एहसास करा देता हैबड़े शहर का शोर अक्सर हमें खुद से मिला देता है बड़े शहरों …

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ज़िंदगी के कुछ टेढ़े मोड़

कभी-कभी ज़िंदगी एक ऐसा मोड़ लेती है जिसमें हर दिशा जाने में मंज़िल सिर्फ एक ही मिलती है क्यों एक वक्त हमें अकेले ही लड़ना होता है क्यों लोगों के साथ के बावज़ूद कई दफ़ा खुद को अकेला पाना होता है यूं रूठ ना तू मुझसे ज़िंदगी वरना तेरे रूठते रूठते कहीं मैं तुझसे ना …

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वास्तव में सही है कौन?

BY SHREYA SHUKLA ज़िन्दगी दो तरीके से जी जाती हैपरिवार या हम!सही कौन है?वह जो खुद के लिए जीता है या वह जो परिवार के लिए मरता है?वो जो सबसे ऊपर खुदको रखता है या वह जो खुद से ऊपर परिवार को रखता है?वह जो खुद की नज़रों में इज़्ज़त बढ़ाता हैया फिर वह जिसके …

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क्या अभी भी तुम सामाजिक पिंजड़े में कैद हो

BY SHREYA SHUKLA क्या किया है कभी तुमने खुद से प्यार ,या फ़िर तुम भी किसी प्यसि के प्यार में विलीन हो ? क्या खोलकर उन पंखों को कभी भरी है वो उड़ान तुमने , या फ़िर तुम अभी भी उस सामाजिक पिंजड़े में कैद हो ? क्या किया है कभी तुमने खुदपर विश्वास , या फ़िर अभी भी तुम …

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