इस कदर दूर ना जा तू मुझसे
तेरे जाने से कुछ बेचैन सी हो उठती हूँ
यूँ मुझे अनदेखा ना किया कर
तेरे चले जाने के बाद मन ही मन मैं बहुत बिलखती हूँ
सच में……
इस डोर के टूट जाने पर मैं इसे बांधना पसंद करती हूँ
तेरे मुझसे दूर चले जाने पर मैं
तेरे दिल के और करीब बस जाना चाहती हूँ
या कुछ यूँ कहें कि
गर तू धरती है,तो मैं उसमें ही समा जाना चाहती हूँ
और अगर तू आसमाँ है
तो उस नीले आसमान की वजह बनना चाहती हूँ
ओ मेरे हमनवा
काश कुछ ऐसा हो कि
तू हवा हो…और मैं उसको महसूस कर पाऊं
या फिर तू समंदर हो…तो मैं उसकी गहराई बन जाऊं
तू आवाज़ हो तो मैं कोयल बन जाऊं
और गर तू कोयला हो
तो मैं उससे तराशा गया हीरा बन जाऊं
तू हिमालय हो तो मैं तेरे इश्क़ की डोर से बंधकर तुझमें ही बह जाऊँ
और तुझसे पिघलकर तुझी से मिल जाऊँ…तुझमें घूमकर तुझी में थम जाऊँ
ओर अगर तू पत्थर हो
तो मैं संगमरमरबन जाऊँ
उस खुशमिज़ाज़ आशिक़ की
अज़ीज़ खुशी बनना चाहती हूँ मैं
मोहब्बत की उस डोर को जोड़कर
सदा तेरे इश्क़ में बन्धना चाहती हूँ मैं।
BY SHREYA SHUKLA
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Nice
Well written👏👏
Keep it up ✌
Kya line h. So cute melodious. Fuu of devotion and sacrifice