बड़े शहरों का शोर

बड़े शहर का शोर अक्सर हमें खुद से मिला देता है
शोर तो बहुत है लेकिन फिर भी हमें चुप्पी का एहसास दिला देता है
रहते तो हैं हम बहुत भीड़ से घिरे हुए
लेकिन उस भीड़ में भी हमें अकेलेपन का एहसास करा देता है
बड़े शहर का शोर अक्सर हमें खुद से मिला देता है

बड़े शहरों का उत्साह हमें भटका भी देता है
मंज़िल तो तय है लेकिन फ़िर भी रास्ता गलत दर्शा देता है
नैतिकता का पाठ सिखाते सिखाते अक्सर अनैतिकता की ओर चला देता है
बड़े शहरों का उत्साह हमें भटकाता चला जाता है

बड़े शहरों का तकनीकी ज्ञान अंदर नई सोच जगाता है
नवाचार के पथ पर चलते चलते भ्रष्टाचार की ओर चला जाता है
तकनीक सीखने के चक्कर में अक्सर ग़लत कृत्य भी करवा जाता है
और तकनीकी अपनाने की होड़ में अक्सर परिवार में दरार पैदा कर जाता है।
शहर का तकनीकी ज्ञान अंदर नई सोच जगाता है

बड़े शहरों का शोर अक्सर भावनात्मकता विस्मरण करवाता है
प्रतिस्पर्धा सिखाते सिखाते मानवता को पीछे छोड़ जाता है
लक्ष्य प्राप्त करवाते करवाते अक्सर पारिवारिकता छोड़ जाता है
की चुप्पी भरे इस शोर में सामाजिकता को भी भूल जाता है
बड़े शहरों का शोर अक्सर भावनात्मकता विस्मरण करा जाता है

By Shreya Shukla

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